कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे तब तुम मेरे पास आना प्रिये मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए अभी तुम को मेरी जरुरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जायेंगे अभी रूप का एक सागर हो तुम, कँवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे दर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे तब तुम मेरे पास आना प्रिये... कोई शर्त होती नहीं प्यार में, मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया नजर में सितारे जो चमके ज़रा, बुझाने लगीं आरती का दीया जब अपनी नजर में ही गिरने लगो, अंधेरो में अपने ही घिरने लगो तब तुम मेरे पास आना प्रिये... |
विवरण :
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कोई जब तुम्हारा ह्रदय - Koi Jab Tumhara Hriday (Mukesh)
पुरवा सुहानी आयी रे - Purva Suhani Aayi Re (Mahendra Kapoor)
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ढोली ढोल बजाना, ताल से ताल
मिलाना
पुरवा सुहानी आयी रे, पुरवा ऋतुओं की रानी आयी रे, पुरवा मेरे रुके नहीं पाँव, नाच उठा सारा गाँव प्रीत पे जवानी छाई रे, पुरवा पुरवा सुहानी आयी... मौसम का मुसाफिर खड़ा रस्ते में उसके हाथों सब कुछ लुटा सस्ते में छोटी सी उमरिया है, लम्बी सी डगरिया रे जीवन है परछाई रे, पुरवा पुरवा सुहानी आयी... कर ले, कर भी ले प्यार की पूजा प्यार के रंग पे चढ़े ना रंग दूजा क्या ये कोई सपना है, मेरे लिए अपना है बात मेरी बन आयी रे पुरवा सुहानी आयी... मीरा सी दीवानी रे नाचे मस्तानी होंठों पे है सरगम तो आँखों में पानी घुंघरू दीवाने हुए, रिश्ते पुराने हुए गीत में कहानी गायी रे, पुरवा पुरवा सुहानी आयी... |
विवरण :
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लता मंगेशकर,
मनोहर उदास
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दुल्हन चली, हाँ पहन चली - Dulhan Chali, Haan Pehen Chali (Mahendra Kapoor)
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पूरब में सूरज ने छेड़ी, जब किरणों की शहनाई
चमक उठा सिन्दूर गगन पे, पच्छिम तक लाली छाई दुल्हन चली, हाँ पहन चली हो रे दुल्हन चली, हो पहन चली तीन रंग की चोली बाहों में लहराए गंगा जमुना देख के दुनिया डोली दुल्हन चली... ताजमहल जैसी ताजा है सूरत चलती फिरती अजंता की मूरत मेल मिलाप की मेहंदी रचाए बलिदानों की रंगोली दुल्हन चली... मुख चमके ज्यूँ हिमालय की चोटी हो ना पड़ोसी की नियत खोटी ओ घर वालों ज़रा इसको संभालो ये तो है बड़ी भोली दुल्हन चली... चाँदी रंग अंग है, तो धनि तरंग लहंगा सोने रंग चूने का मोल बड़ा महंगा मन सीता जैसा, वचन गीता जैसे डोले प्रीत की बोली दुल्हन चली... और सजेगी अभी और संवरेगी चढ़ती उमरिया है और निखरेगी अपनी आजादी की दुल्हनिया दीप के ऊपर होली दुल्हन चली... देश प्रेम ही आजादी की दुल्हनिया का वर है इस अलबेली दुल्हन का सिंदूर सुहाग अमर है माता है कस्तूरबा जैसी, बाबुल गाँधी जैसे चाचा इसके नेहरु, शास्त्री, डरे ना दुश्मन कैसे वीर शिवाजी जैसे वीरे, लक्ष्मी बाई बहना लक्ष्मण जिसके बोध, भगत सिंह, उसका फिर क्या कहना जिसके लिए जवान बहा सकते हैं खून की गंगा आगे पीछे तीनो सेना ले के चले तिरंगा सेना चलती है ले के तिरंगा हो कोई हम प्रान्त के वासी हो कोई भी भाषा भाषी सबसे पहले हैं भारतवासी |
विवरण :
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है प्रीत जहाँ की रीत सदा - Hai Preet Jahan Ki Reet Sada (Mahendra Kapoor)
जब ज़ीरो दिया
मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलायी देता ना दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ा लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आयी पहले जनमी है जहाँ पे कला अपना भारत वो भारत है जिसके पीछे संसार चला संसार चला और आगे बढ़ा यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया भगवान करे ये और बढ़े बढ़ता ही रहे और फूले-फले है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ काले-गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है जिसे मान चुकी सारी दुनिया मैं बात वो ही दोहराता हूँ भारत का रहने... जीते हो किसी ने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है जहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है इतने पावन हैं लोग जहाँ मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ भारत का रहने... इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कह के बुलाते है इतना आदर इन्सान तो क्या पत्थर भी पूजे जातें है इस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ भारत का रहने... |
विवरण :
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