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ये लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा
मेरा गम कब तलक, मेरा दिल तोड़ेगा किसी का भी लिया नाम तो आयी याद तू ही तू ये तो प्याला शराब का बन गया ये लहू ये लाल रंग... पीने की कसम डाल दी पिऊंगा किस तरह ये ना सोचा तूने यार मैं जिऊंगा किस तरह ये लाल रंग... चला जाऊं कहीं छोड़ के मैं तेरा ये शहर ना तो यहाँ अमृत मिले पीने को ना ज़हर ये लाल रंग... |
विवरण :
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प्रेम नगर
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1974
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एस.डी.बर्मन
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आनंद बख़्शी
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किशोर कुमार
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राजेश खन्ना,
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हेमामालिनी
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ये लाल रंग / Ye Lal Rang
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