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कन्धों से मिलते हैं कन्धे, क़दमों से क़दम मिलते हैं
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं अब तो हमें आगे बढ़ते है रहना अब तो हमें साथी है बस इतना ही कहना अब जो भी हो शोला बनके पत्थर है पिघलाना अब जो भी हो बादल बनके परबत पर है छाना निकले हैं मैदां में हम जां हथेली पर लेकर अब देखो दम लेंगे हम जा के अपनी मंजिल पर खतरों से हंस के खेलना, इतनी तो हम में हिम्मत है मोड़े कलाई मौत की, इतनी तो हम में ताक़त है हम सरहदों के वास्ते लोहे की इक दीवार हैं हम दुश्मनों के वास्ते होशियार हैं, तैयार हैं अब जो भी हो... जोश दिल में जगाते चलो, जीत के गीत गाते चलो जीत की जो तस्वीर बनाने हम निकले हैं अपनी लहू से हमको उसमें रंग भरना है साथी मैंने अपने दिल में अब ये ठान लिया है या तो अब करना है या तो अब मरना है चाहे अंगारें बरसे के बिजली गिरे तू अकेला नहीं होगा यारा मेरे कोई मुश्किल हो या हो कोई मोर्चा साथ हर मोड़ पर होंगे साथी तेरे अब जो भी हो... इक चेहरा अक्सर मुझे याद आता है इस दिल को चुपके-चुपके वो तड़पाता है जब घर से कोई भी ख़त आया है कागज़ को मैंने भीगा-भीगा पाया है पलकों पे यादों के कुछ दीप जैसे जलते हैं कुछ सपने ऐसे हैं, जो साथ-साथ चलते हैं कोई सपना न टूटे, कोई वादा न टूटे तुम चाहो जिसे दिल से वो तुमसे ना रूठे अब जो भी हो... चलता है जो ये कारवाँ, गूंजी सी है ये वादियाँ है ये ज़मीं, ये आसमां है ये हवा, है ये समां हर रस्ते ने, हर वादी ने हर परबत ने, सदा दी हम जीतेंगे, हम जीतेंगे, हम जीतेंगे, हर बाज़ी कन्धों से मिलते... चलता है जो ये कारवाँ, गूंजी सी है, ये वादियाँ |
विवरण :
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कन्धों से मिलते हैं कन्धे - Kandhon Se Milte Hain Kandhe (Lakshya)
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