है प्रीत जहाँ की रीत सदा - Hai Preet Jahan Ki Reet Sada (Mahendra Kapoor)



जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने 
दुनिया को तब गिनती आयी 
तारों की भाषा भारत ने 
दुनिया को पहले सिखलायी 

देता ना दशमलव भारत तो 
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ा लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आयी
पहले जनमी है जहाँ पे कला 
अपना भारत वो भारत है 
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया 
भगवान करे ये और बढ़े 
बढ़ता ही रहे और फूले-फले 

है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ 
भारत की बात सुनाता हूँ 

काले-गोरे का भेद नहीं 
हर दिल से हमारा नाता है 
कुछ और न आता हो हमको 
हमें प्यार निभाना आता है 
जिसे मान चुकी सारी दुनिया 
मैं बात वो ही दोहराता हूँ 
भारत का रहने...

जीते हो किसी ने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है 
जहाँ राम अभी तक है नर में 
नारी में अभी तक सीता है 
इतने पावन हैं लोग जहाँ 
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ 
भारत का रहने...

इतनी ममता नदियों को भी 
जहाँ माता कह के बुलाते है 
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें है 
इस धरती पे मैंने जनम लिया 
ये सोच के मैं इतराता हूँ 
भारत का रहने...
विवरण :
:
पूरब और पश्चिम
:
1970
:
कल्याणजी-आनंदजी
:
इन्दीवर
:
महेंद्र कपूर
:
मनोज कुमार








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