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बचना ऐ हसीनों, लो मैं आ
गया
हुस्न का आशिक़, हुस्न का दुश्मन अपनी अदा है यारों से जुदा बचना ऐ हसीनों... है, दुनिया में नहीं है, आज मेरा सा दीवाना प्यार वालों की जुबां पे, है मेरा ही तराना सबकी रंग भरी आँखों में आज, चमक रहा है मेरा ही नशा बचना ऐ हसीनों... जाम मिलतें हैं अदब से, शाम देती है सलामी गीत झुकते है लबों पे, साज़ करते हैं गुलामी हो कोई परदा हो या बादशाह, आज तो सभी हैं मुझपे फ़िदा बचना ऐ हसीनों... एक हंगामा उठा दूं, मैं तो जाऊं जिधर से जीत लेता हूँ दिलों को, एक हल्की सी नज़र से महबूबों की महफ़िल में आज, छायी है छायी है मेरी ही अदा बचना ऐ हसीनों... |
विवरण :
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बचना ऐ हसीनों / Bachna Ae Haseenon
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