आपके कमरे में कोई / Aapke Kamre Mein Koi



आपके कमरे में कोई रहता है
हम नहीं कहते ज़माना कहता है
आपके कमरे में...

हम आज उधर से निकले तो, बड़े इंतजाम से
गिरा रहा था कोई परदा, हाय सरे शाम से
उधर आपकी फोटो से, सजी दीवार पे
पड़ा हुआ था एक साया, बड़े आराम से
आपके कमरे में...

मगर जो एक दिन मैं गुज़री, गली में सरकार की
तभी से चलती है दिल पे, हाय तलवार सी
दबी दबी हल्की हल्की, हँसी की तनाव में
मचल रही थी चूड़ी भी, हाय छनकार सी 
ये ना समझो कोई गाफिल रहता है 
हम नहीं कहते...

अगर मैं कहूं जो देखा, नहीं था वो कोई ख्वाब
पड़ा था टेबल पे चश्मा, वो किसका जनाब 
गोरे गले में वो मफलर, था किस हसीन का
जरा हाथ दिल पे रख के, हमें दीजिये जवाब 
आपके कमरे में...

दिल मिल गए तो हम खिल गए 
के दिल दिल मिले, जहाँ में कभू कभू 
अरे हाँ हाँ, अरे हाँ हाँ 
अरे हाँ हाँ, अरे वाह वाह 

यारों के लिए, है मेरी दुआ
आ जाए वो दिन, गले मिलके बीते जवानी
तुमको भी मिले, दिन बहार का 
रात बहार की, यूँ ही झूमे ये जिंदगानी 
दिल मिल गए...

दम मारो दम मिट जाए गम 
बोलो सुबह शाम हरे कृष्णा हरे राम
विवरण :
:
यादों की बारात
:
1974
:
आर.डी.बर्मन
:
मजरूह सुल्तानपुरी
:
किशोर कुमार,
आशा भोंसले,
आर.डी.बर्मन
:
तारिक़ खान,


ज़ीनत अमान,


विजय अरोड़ा




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