करवटें बदलते रहे / Karvatein Badalte Rahe



करवटें बदलते रहे सारी रात हम
आप की क़सम
ग़म न करो दिन जुदाई के बहुत हैं कम
आप की क़सम

याद तुम आते रहे, इक हूक़ सी उठती रही
नींद मुझसे, नींद से मैं, भागती छुपती रही
रात भर बैरन निगोड़ी चाँदनी चुभती रही
आग सी जलती रही, गिरती रही शबनम
आप की क़सम...

झील सी आँखों में आशिक़, डूब के खो जायेगा
ज़ुल्फ़ के साये में, दिल अरमां भरा सो जायेगा
तुम चले जाओ नहीं तो, कुछ न कुछ हो जायेगा
डगमगा जायेंगे ऐसे हाल में क़दम
आप की क़सम...

रूठ जायें हम तो तुम हमको मना लेना सनम
दूर हों तो पास हमको, तुम बुला लेना सनम
कुछ गिला हो तो गले हमको लगा लेना सनम
टूट न जाये कभी ये प्यार की क़सम
आप की क़सम...
विवरण :
:
आप की कसम
:
1974
:
आर.डी.बर्मन
:
आनंद बख़्शी
:
किशोर कुमार,
लता मंगेशकर
:
राजेश खन्ना,


मुमताज़






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