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कोई हमदम न
रहा, कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे, कोई हमारा न रहा शाम तन्हाई की है, आएगी मंज़िल कैसे जो मुझे राह दिखाए, वही तारा न रहा कोई हमदम न रहा... ऐ नज़ारों न हँसो, मिल न सकूँगा तुमसे वो मेरे हो न सके, मैं भी तुम्हारा न रहा कोई हमदम न रहा... क्या बताऊँ मैं कहाँ, यूँ ही चला जाता हूँ जो मुझे फिर से बुला ले, वो इशारा न रहा कोई हमदम न रहा... |
विवरण :
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कोई हमदम न रहा / Koi Humdum Na Raha
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