कोई हमदम न रहा / Koi Humdum Na Raha



कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे, कोई हमारा न रहा

शाम तन्हाई की है, आएगी मंज़िल कैसे
जो मुझे राह दिखाए, वही तारा न रहा
कोई हमदम न रहा...

ऐ नज़ारों न हँसो, मिल न सकूँगा तुमसे
वो मेरे हो न सके, मैं भी तुम्हारा न रहा
कोई हमदम न रहा...

क्या बताऊँ मैं कहाँ, यूँ ही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुला ले, वो इशारा न रहा
कोई हमदम न रहा...
विवरण :
:
झुमरू
:
1961
:
किशोर कुमार
:
मजरूह सुल्तानपुरी
:
किशोर कुमार
:
किशोर कुमार








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