ओ माझी रे, ओ माझी रे
अपना किनारा, नदियाँ की धारा है साहिलों पे बहने वाले कभी सुना तो होगा कहीं कागजों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं ओ माझी रे, माझी रे कोई किनारा जो किनारे से मिले वो अपना किनारा है ओ माझी रे... पानीयों में बह रहे हैं, कई किनारे टूटे हुये रासतों में मिल गये हैं सभी सहारे छूटे हुये कोई सहारा मझधारे में मिले जो अपना सहारा है ओ माझी रे... |
विवरण :
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हेमामालिनी
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ओ माझी रे / O Majhi Re
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