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ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं ज़रा सी आहट होती है... छुप के सीने में कोई जैसे सदा देता है शाम से पहले दीया दिल का जला देता है है उसी की ये सदा, है उसी की ये अदा कहीं ये वो तो नहीं... शक्ल फिरती है निगाहों में वही प्यारी सी मेरी नस-नस में मचलने लगी चिंगारी सी छू गई जिस्म मेरा किसके दामन की हवा कहीं ये वो तो नहीं... |
विवरण :
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ज़रा सी आहट होती है - Zara Si Aahat Hoti Hai (Lata Mangeshkar, Haqeeqat)
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