हम तो हैं राही दिल के / Hum To Hain Raahi Dil Ke



हम तो हैं राही दिल के, पहुंचेंगे रुकते-चलते
मंज़िल है किसको प्यारी हो
अरे हम तो हैं मन के राजा, राजा की चली सवारी
अरे हो सुनो ज़रा
हम तो हैं राही...

हम वो अलबेले हैं, सारी दुनिया झेले हैं
अपने तो सब लाखों, बस कहने को अकेले हैं
अरे सबका बोझा लेई के, चलती है अपनी लारी
अरे हो सुनो ज़रा
हम तो हैं राही...

जब तक चलते जाएँ सबका ही दिल अपनाएँ
जब रोए कोई दूजा, नैना अपने छलक आएँ
प्यारे काम आएगी, सुन ता जा बात हमारी
अरे हो सुनो ज़रा
हम तो हैं राही...

हरे हरे शंकर जय शिव शंकर भूषण वल्लभ जय महेश्वर
अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर

पंडित मुल्ला डाँटें, पर हम सबका दुख बाँटें
सारे हैं अपने प्यारे, बोलो किसका गला काटें
रामू या रमजानी, अपनी तो सबसे यारी
अरे ओ सुनो ज़रा
हम तो हैं राही...
विवरण :
:
कारवाँ
:
1971
:
आर.डी.बर्मन
:
मजरूह सुल्तानपुरी
:
किशोर कुमार
:
जीतेन्द्र









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