तेरी बाहों में जो सकूं था मिला
मैंने ढूँढा बहुत था, फिर ना मिला दुनिया छूना चाहे मुझको यूं जैसे उनकी सारी की सारी मैं दुनिया देखे रूप मेरा कोई ना जाने बेचारी मैं हाय टूटी सारी की सारी मैं तेरे इश्क़ में हुई आवारी मैं हाय, टूटी सारी की सारी मैं तेरे इश्क़ में हुई आवारी मैं कोई शाम बुलाये, कोई दाम लगाये मैं भी ऊपर से हँसती, पर अंदर से हाय क्यूं दर्द छुपाये बैठी है क्यूं तू मुझसे कहती है मैं तो खुद ही बिखरा हुआ हाय अंदर-अंदर से टूटा मैं तेरे इश्क़ में खुद ही से रूठा मैं हाय अंदर-अंदर से टूटा मैं तेरे इश्क़ में खुद ही से रूठा मैं मैं जी भरके रो लूँ, तेरी बाहों में सो लूँ आ फिर से मुझे मिल. मैं तुझसे ये बोलूं तू अनमोल थी, पल-पल बोलती थी ऐसी चुप तू लगा के गयी, सारी खुशियाँ खा के गयी हाय, अंदर-अंदर से टूटा मैं तेरे इश्क़ में खुद ही से रूठा मैं हाय, तेरी हूँ सारी की सारी मैं हो, तेरे ही लिये ना सारी मैं |
विवरण :
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मोमिना मुस्तेशान
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आवारी / Awari
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