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कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन
साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों सांस थमती गई, नब्ज जमती गई फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं सर हिमालय का हमने न झुकने दिया मरते-मरते रहा बाँकपन साथियोंयों अब तुम्हारे हवाले वतन... जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज आती नहीं हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करे वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं आज धरती बनी है दुल्हन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन... राह कुर्बानियों की ना वीरान हो तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है जिन्दगी मौत से मिल रही है गले बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन... खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर इस तरफ आने पाये ना रावण कोई तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे छूने पाये ना सीता का दामन कोई राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन... |
विवरण :
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अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों - Ab Tumhare Hawale Watan Saathiyon (Mohammad Rafi)
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