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ज़िन्दगी मिल के बिताएंगे
हाल-ए-दिल गा के सुनायेंगे हम तो सात रंग हैं ये जहां रंगीं बनायेंगे सरगम हम से बने नगमें हम से जवां झूमे आसमां हम ही तो दुनिया के सात अजूबे है हमसे है जहां ज़िन्दगी मिल के बिताएंगे... खुशियाँ बाटेंगे हम हर ग़म मिल के सहें फिर क्यों आंसू बहें अरे बन के सहारा इक दूजे का यूँ ही चलते रहे ज़िन्दगी मिल के बिताएंगे... |
विवरण :
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सपन चक्रबर्ती, आर.डी.बर्मन
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ज़िन्दगी मिलके बिताएंगे / Zindagi Milke Bitaenge
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