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समा है सुहाना सुहाना, नशे में
जहां है
किसी को किसी की खबर ही कहाँ है हर दिल में देखो, मोहब्बत जवां है कह रही है नज़र, नज़र से अफ़साने हो रहा है असर के जिसको दिल जाने देखो ये दिल की अजब दास्ताँ है नज़र बोलती है, दिल बेज़ुबां है समां है सुहाना सुहाना... हो गया है मिलन, दिलों का मस्ताना हो गया है कोई किसी का दीवाना जहाँ दिलरुबा है, दिल भी वहाँ है जिसे प्यार कहिये, वही दरमियाँ है समां है सुहाना सुहाना... |
विवरण :
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घर घर की
कहानी
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1970
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कल्याणजी-आनंदजी
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हसरत जयपुरी
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किशोर कुमार
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राकेश रोशन,
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भारती
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समा है सुहाना सुहाना / Sama Hai Suhana Suhana
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