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गोरे रंग पे ना इतना गुमान कर
गोरा रंग दो दिन में ढल जायेगा मैं शमा हूँ तू है परवाना मुझसे पहले तू जल जायेगा गोरे रंग पे न इतना... रूप मिट जाता है ये प्यार ऐ दिलदार नहीं मिटता हो फूल मुरझाने से गुलज़ार ओ सरकार नहीं मिटता क्या बात कही है, होय (ओये) तौबा ये दिल बेईमान मचल जायेगा गोरे रंग पे न इतना... ओ आपको है ऐसा इनकार तो ये प्यार यहीं छोड़ो ओ प्यार का मौसम है बेकार की तकरार यहीं छोड़ो हाथों मे हाथ ज़रा दे दो बातों में वक्त निकल जायेगा गोरे रंग पे न इतना... ओ मैं तुझे कर डालूं मसरूर नशे में चूर तो मानोगे ओ तुमसे मैं हो जाऊं कुछ दूर ऐ मगरूर हो मानोगे तू लाख बचा मुझसे दामन ये हुस्न का जादू चल जायेगा गोरे रंग पे न इतना... |
विवरण :
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लता मंगेशकर
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मुमताज़
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गोरे रंग पे न इतना / Gore Rang Pe Na Itna
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