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जय जय शिव शंकर, काँटा लागे न कंकर
जो प्याला तेरे नाम का पिया ओ गिर जाऊँगी, मैं मर जाऊँगी जो तूने मुझे थाम ना लिया ओ सौं रब दी! एक के दो, दो के चार, मुझको तो दिखते हैं ऐसा ही होता है, जब दो दिल मिलते हैं सर पे ज़मीं पाँव के नीचे है आसमां हो सौं रब दी जय जय शिव शंकर... कंधे पे, सर रख के, तुम मुझको सोने दो मस्ती में जो चाहे हो जाये होने दो ऐसे में तुम हो गये हो बड़े बेईमान हो सौं रब दी! जय जय शिव शंकर... रस्ते में हम दोनों, घर कैसे जायेंगे घर वाले अब हमको खुद लेने आयेंगे कुछ भी हो लेकिन मज़ा आ गया मेरी जां हो सौं रब दी! जय जय शिव शंकर... |
विवरण :
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लता मंगेशकर
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मुमताज़
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जय जय शिव शंकर / Jai Jai Shiv Shankar
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