ऐ मालिक तेरे बन्दे हम - Ae Malik Tere Bande Hum



ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
ऐसे हों हमारे करम
नेकी पर चलें और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम

ये अंधेरा घना छा रहा, तेरा इंसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में जो दम
तो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम
जब ज़ुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें, हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम, और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम
बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी
पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा
तेरी किरपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर चलें और बदी से टलें,
ताकि हंसते हुए निकले दम
विवरण :
:
दो आँखें बारह हाथ
:
1957
:
वसंत देसाई
:
भरत व्यास
:
लता मंगेशकर
:
संध्या शांताराम, 


वी. शांताराम







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