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I
मेरे महबूब क़यामत होगी आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी मेरी नज़रें तो गिला करती हैं तेरे दिल को भी सनम तुझसे शिकायत होगी तेरी गली मैं आता सनम नगमा वफ़ा का गाता सनम तुझसे सुना ना जाता सनम फिर आज इधर आया हूँ मगर ये कहने मैं दीवाना ख़त्म बस आज ये वहशत होगी आज रुसवा... मेरी तरह तू आहें भरे तू भी किसी से प्यार करे और रहे वो तुझसे परे तूने ओ सनम ढायें हैं सितम तो ये तू भूल न जाना के ना तुझपे भी इनायत होगी आज रुसवा... II मेरे महबूब... नाम निकलेगा तेरा ही लब से जान जब इस दिल-ए-नाकाम से रुखसत होगी मेरे महबूब... मेरे सनम के दर से अगर बाद-ए-सबा हो तेरा गुज़र कहना सितमगर कुछ है खबर तेरा नाम लिया जब तक भी जिया ऐ शमा तेरा परवाना जिससे अब तक तुझे नफरत होगी आज रुसवा... |
विवरण :
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मिस्टर एक्स इन बॉम्बे
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1964
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लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
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आनंद बक्षी
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किशोर कुमार
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किशोर कुमार,
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कुम कुम
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मेरे महबूब क़यामत होगी / Mere Mehboob Qayamat Hogi
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