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क्या नज़ारे क्या सितारे
सबको है इंतज़ार सब हैं बेक़रार तू कब सब देखेगी हर कली में हर गली में देखेगी मेरा प्यार प्यार की बहार तू सब जब देखेगी क्या नज़ारे क्या सितारे... बादल अम्बर पे यूँ ही आता जाता रहेगा तेरे रेश्मी आँचल की तरह लहराता रहेगा क़दमों की धूल चूमेगी ये फूल तू जब सब देखेगी हर कली में... मन में तू ऐसे समायी जैसे नदिया में नीर मेरे नैनों के दर्पण में लगी है यूँ तेरी तसवीर अपना ये रूप, ये छाँव धूप तू जब सब देखेगी क्या नज़ारे क्या सितारे... |
विवरण :
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झील के उस पार
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1973
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आर.डी.बर्मन
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आर.डी.बर्मन
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किशोर कुमार
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धर्मेन्द्र,
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मुमताज़
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क्या नज़ारे क्या सितारे / Kya Nazaare Kya SItaare
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